गोस्वामी तुलसीदास जीवन परिचय हिन्दी - हिन्दी Inclinde

Friday, July 24, 2020

गोस्वामी तुलसीदास जीवन परिचय हिन्दी

गोस्वामी तुलसीदास

 जीवन परिचय- गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई० में, - और मृत्यु सन्० 1589 वि०
भाद्रपद, शुक्लपक्ष की एकादशी में बाँदा जिले के - राजापुर नामक ग्राम में हुआ था। कुछ
विद्वान इनका जन्म एटा जिले के............
'सोरो' ग्राम में मानते हैं। परन्तु आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने राजापुर ग्राम का ही समर्थन किया है।
तुलसीदास सरयूपारी ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम श्री
आत्माराम दूबे और माता का नाम हुलसी था। इनके माता-पिता ने इन्हें
अभुक्त मूल नक्षत्र में उत्पन्न होने के कारण इनको त्याग दिया था। इनका - बचपन अनेक
कष्टों से व्यतीत हुआ। सौभाग्य से इनको बाबा नरहरिदास जैसे
महान गुरु का आशीर्वाद  प्राप्त हुआ। इन्हीं की कृपा से इनको शास्त्रों के अध्ययन-करने का
अवसर मिला। स्वामी नरहरिदास के साथ ही ये काशी आ गये, जहाँ परम महान महात्मा शेष
सनातन जी ने इन्हें वेद-वेदांग, दर्शन, इतिहास, पुराण आदि में योग्य व निपुण कर दिया।
 इन्हें अपनी अत्यन्त रूपवती पत्नी से अत्यधिक प्रेम था। एक बार पत्नी द्वारा बिना
कहे मायके चले जाने पर ये अर्द्धरात्रि में आँधी-तूफान से लड़ते हुए अपनी ससुराल जा पहुँचे।
इस पर इनकी पत्नी ने इनकी भर्त्सना 'रत्नावली-दोहावली' में की-
अस्थि चर्म मय देह मम, तामें ऐसी प्रीति।
तैसी जो श्रीराम महँ, होति न तौ भवभीति। इन्होंने अपनी अधिकांश रचनाएँ चित्रकूट, काशी
और अयोध्या में लिखी है। काशी के असी घाट पर सन् 1623 ई० और श्रावण मास, की शुक्ल
पक्ष की कृष्णा तीज को वि० सं० 1680 में इन्होंने देह त्याग किया। इनकी मृत्यु के बारे में प्रसिद्ध है
संवत सोलह सौ असी, असी गंग के तीर।
श्रावण कृष्णा तीज शनि, तुलसी तज्यो शरीर।। 
कृतियाँ/रचना- गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित बारह ग्रन्थ प्रामाणिक माने जाते हैं, 
जिनमें महाकाव्य 'श्रीरामचरितमानस' प्रमुख है। शेष निम्नलिखित हैं
(1) श्रीरामचरितमानस, (2) विनय पत्रिका, (३) कवितावली, (4) गीतावली, (5) श्रीकृष्ण-गीतावली,
(6) बरवै रामायण, (7) रामलला नहछ, (8) वैराग्य संदीपनी, (9) जानकी-मंगल, (10) पार्वती-मंगल,
(11) दोहावली, (12) रामाज्ञा प्रश्न।

साहित्य में स्थान- गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल के ही नहीं बल्कि हिन्दी-साहित्य के
सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। इन्होंने ब्रज और अवधी भाषा द्वारा कविता की सर्वतोन्मुखी उन्नति की।
इन्होंने अपने काव्य के द्वारा अनेक मतों और विचारधाराओं में सामान्  स्थापित करके समाज में पुनर्जागरण का मन्त्र फूंका। 

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