एक स्वप्न
सहसा स्वप्न में मेरे ,
एक हसीन सा चेहरा आया।
कुछ पल ठहरा सामने मेरे ,
देखकर मुस्कुराया फिर सरमाया।
पुष्प कली सी उसके अधर ,
चंचल नयन भटकती इधर -उधर।
उसके चेहरे का मनमोहक निखार ,
सुर्ख लाली से अलंकृत रुखसार।
मंद सुगंधित बयार सी आयी ,
उसने लम्ब केश लहरायी।
जैसे कोई परी हो आयी ,
कुछ बोली फिर मुस्कायी।
धारण किये सुंदर लिबास ,
गीत गुनगुनाई आकर मेरे पास।
कोयल सी मधुर उसकी बोल ,
मानो वो सुंदरी अनमोल।
अपनेपन का हो अहसास।
ए खुदा सदा दे मेरा साथ ,
सपना देखा था उस रात।
अरुण पाल