खास अजनबी - हिन्दी Inclinde

Tuesday, March 31, 2020

खास अजनबी



गुजरी वो नजरे यू अन्जान बनकर ,
जो कभी दूर से पहचान लिया करती थी|
अभिनय उसने इसकदर किया अजनबी होने का ,
जो कभी कदमे आहट से पहचान लिया करती थी |

उसके अधर की सुर्खियो मे शबनम का अभाव है ,
जो कभी बसंत के फूल सी खिला करती थी |
अब देखकर वो मुझे जैसे रूठ सी जाती है ,
जो कभी देखकर मुस्कुरा दिया करती थी |

सहसा वो कहती है बन्धिसे तमाम है , माना अरुण
जो कभी उन्ही बन्धिसो से समय निकाल लिया करती थी |
मै सोचता हू वो इतनी जल्दी भूल कैसे सकती है ,
मुझे जो कभी मेरे गजले दीदार किया करती थी |

अरुण पाल - अमेठी

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