पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
जीवन परिचय- शुक्ल-युग के प्रवर्तक, श्रेष्ठ निबन्धकार और आलोचक श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
का जन्म सन् 1894 ई० में मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के खैरागढ़ नामक स्थान पर हुआ था।
इनके पिता श्री उमराव बख्शी तथा बाबा पुन्नालाल बख्शी साहित्य-प्रेमी और कवि थे। माता भी
साहित्य प्रेमी थी। परिवार के साहित्यिक वातावरण का प्रभाव इनके मन पर भी पड़ा और ये
विद्यार्थी जीवन से ही कविताएँ लिखने लगे। बी०ए० उत्तीर्ण करने के बाद बख्शी जी ने
साहित्य-सेवा को अपना लक्ष्य बना लिया
का जन्म सन् 1894 ई० में मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के खैरागढ़ नामक स्थान पर हुआ था।
इनके पिता श्री उमराव बख्शी तथा बाबा पुन्नालाल बख्शी साहित्य-प्रेमी और कवि थे। माता भी
साहित्य प्रेमी थी। परिवार के साहित्यिक वातावरण का प्रभाव इनके मन पर भी पड़ा और ये
विद्यार्थी जीवन से ही कविताएँ लिखने लगे। बी०ए० उत्तीर्ण करने के बाद बख्शी जी ने
साहित्य-सेवा को अपना लक्ष्य बना लिया
और वे कविताएँ और कहानियाँ लिखने लगे। आचार्य द्विवेदी जी बख्शी जी __की रचनाओं व
योग्यताओं से इतने अधिक प्रभावित हुए थे कि अपने बाद
योग्यताओं से इतने अधिक प्रभावित हुए थे कि अपने बाद
उन्होंने 'सरस्वती' पत्रिका की बागडोर इन्हीं को सौंप दी। द्विवेदी जी के बाद सन् 1920 से लेकर
1927 ई० तक इन्होंने कुशलतापूर्वक 'सरस्वती' पत्रिका का सम्पादन कार्य किया। खैरागढ़ के
हाईस्कूल में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् इन्होंने पुनः 'सरस्वती' का सम्पादन कार्य किया।
सन् 1971 ई० में 77 वर्ष की आयु में ये साहित्य सेवा करते हुए गोलोक वासी हो गये|
1927 ई० तक इन्होंने कुशलतापूर्वक 'सरस्वती' पत्रिका का सम्पादन कार्य किया। खैरागढ़ के
हाईस्कूल में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् इन्होंने पुनः 'सरस्वती' का सम्पादन कार्य किया।
सन् 1971 ई० में 77 वर्ष की आयु में ये साहित्य सेवा करते हुए गोलोक वासी हो गये|
कृतियाँ या रचनाएँ- बख्शी जी की रचनाओं का विवरण निम्नवत् हैं
(1) निबन्ध-संग्रह- 'पंचपात्र', 'पद्मवन', 'तीर्थ रेणु', 'प्रबन्धपारिजात', 'कुछ बिखरे पन्ने',
'मकरन्द बिन्दु', 'यात्री', 'तुम्हारे लिए', 'तीर्थ-सलिल' आदि।
'मकरन्द बिन्दु', 'यात्री', 'तुम्हारे लिए', 'तीर्थ-सलिल' आदि।
(2) आलोचना ग्रन्थ- 'हिन्दी-साहित्य विमर्श', 'विश्व-साहित्य', 'हिन्दी-उपन्यास साहित्य',
'हिन्दी कहानी साहित्य', 'साहित्य-शिक्षा' आदि।
'हिन्दी कहानी साहित्य', 'साहित्य-शिक्षा' आदि।
(3) कहानी-संग्रह- 'झलमला', 'अञ्जलि'।
(4) काव्य-संग्रह- 'शतदल', 'अश्रुदल'।
(5) अनूदित रचनाएँ- जर्मनी के मौरिस मेटरलिंक के दो नाटकप्रायश्चित, उन्मुक्ति का
बन्धन।
बन्धन।
(6) अनूदित ग्रन्थ- 'सरस्वती', 'छाया'।
साहित्य में स्थान- बख्शी जी भावुक कवि, श्रेष्ठ निबन्धकार, निष्पक्ष आलोचक, कुशल
पत्रकार एवं कहानीकार हैं। आलोचनाएँ और निबन्ध के क्षेत्र में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
विश्व साहित्य में इनकी गहरी पैठ है। अपने ललित निबन्धों के लिए ये सदैव स्मरण किये जाएँगे।
पत्रकार एवं कहानीकार हैं। आलोचनाएँ और निबन्ध के क्षेत्र में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
विश्व साहित्य में इनकी गहरी पैठ है। अपने ललित निबन्धों के लिए ये सदैव स्मरण किये जाएँगे।