डा० राजेन्द्र प्रसाद जीवन परिचय हिन्दी - हिन्दी Inclinde

Friday, July 24, 2020

डा० राजेन्द्र प्रसाद जीवन परिचय हिन्दी

डा० राजेन्द्र प्रसाद 

जीवन परिचय- देश रत्न, प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता श्री महादेव सहाय गाँव के सम्पन्न एवं प्रतिष्ठित कृषक परिवारों में गिने जाते हैं। इन्होंने कलकत्ता (कोलकाता) विश्वविद्यालय से एम०ए०, एल०एल०बी० की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। ये प्रतिभासम्पन्न और मेधावी छात्र रहे तथा परीक्षा में प्रथम आते थे। इन्होंने कुछ समय तक मुजफ्फरपुर कॉलेज में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् ये पटना और कलकत्ता में वकील रहे। इनका लगाव छात्र जीवन से राष्ट्र सेवा की ओर था। सन् 1917 ई० में गांधी जी के आदर्शों और सिद्धान्तों से प्रभावित होकर इन्होंने चम्पारन के आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और वकालत छोड़कर पूर्ण रूप में राष्ट्रीय स्वतन्त्रता-संग्राम में कूद पड़े। अनेक बार जेल की यातनाएँ भी इन्होंने भोगी। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद ने विदेश जाकर भारत के पक्ष को विश्व के सामने रखा। ये तीन बार 'अखिल भारतीय कांग्रेस के सभापति तथा भारत के संविधान का निर्माण करने वाली सभा के सभापति चुने गये।
  राजनीतिक जीवन के साथ ही बंगाल और बिहार में बाढ़ और भूकम्प के समय की गई इनकी सेवाएँ सदा स्मरण रही। 'सादा जीवन उच्च विचार' इनके जीवन का ध्येय वाक्य एवं आदर्श रहा। इनकी प्रतिभा, कर्त्तव्यनिष्ठा,ईमानदारी और निष्पक्षता से प्रभावित होकर ही इनको भारत गणराज्य का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया। इस पद पर ये सन् 1952 ई० से सन् 1962 ई० तक सुशोभित रहे। भारत सरकार ने इनकी सेवाओं से प्रभावित होकर इन्हें सन् 1962 ई० में 'भारत रत्न' से अलंकृत किया। जीवन भर राष्ट्र की निःस्वार्थ सेवा करते हुए ये 28 फरवरी, सन् 1963 ई० को दिवंगत हो गये।
         कृतियाँ या रचनाएँ- डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की रचनाओं का विवरण निम्नलिखित है
(1) चम्पारन में महात्मा गाँधी, 
(2) बाप के कदमों में, 
(3) मेरी आत्मकथा,
(4) मेरे यूरोप के अनुभव, 
(5) शिक्षा और संस्कृति,
(6) भारतीय शिक्षा, 
(7) गाँधी जी की देन, 
(8) साहित्य, 
(9) संस्कृति का अध्ययन, 
(10) खादी का अर्थशास्त्र आदि।
    साहित्य में स्थान- डॉ० राजेन्द्र प्रसाद सुलझे हुए राजनेता होने के साथ-साथ उच्च कोटि
के विचारक, साहित्य-साधक और कुशल वक्ता थे।
वे 'सादी भाषा और गहन विचारक' के रूप में सदैव स्मरणीय रहेंगे। इनकी -हिन्दी की आत्मकथा
पुस्तक 'मेरी आत्मकथा' को आज उच्चस्तरीय स्थान प्राप्त है।

Share with your friends

Add your opinion
Disqus comments
Notification
This is just an example, you can fill it later with your own note.
Done